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attitude shayari 2020


हिंदी शायरी 


attitude shayari 2020

फलसफा समझो न असरारे सियासत समझो,जिन्दगी सिर्फ हकीक़त है हकीक़त समझो,
जाने किस दिन हो हवायें भी नीलाम यहाँ,आज तो साँस भी लेते हो ग़नीमत समझो।

समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई,

कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता।

जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता,मायूस मेरे दिल से सवाली नहीं जाता,

काँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफाज़त,फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता।

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।


attitude shayari 2020



कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी,चंद सिक्कों की खातिर तूने क्या नहीं खोया है,
माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास,पर तू ये बता कितनी रातें चैन से सोया है।

हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ,दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे,

ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर,जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे।

हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ,दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे,

ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर,जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे।


ना जाने कितनी अनकही बातें,कितनी हसरतें साथ ले जाएगें

लोग झूठ कहते हैं किखाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाएगें।

तेरी चाहत में रुसवा यूँ सरे बाज़ार हो गये,हमने ही दिल खोया और हम ही गुनहगार हो गये।



जमाने भर की रुसवाईयाँ और बेचैन रातें,ऐ दिल कुछ तो बता ये माजरा क्या है।


काँटों से गुजर जाता हूँ दामन को बचा कर,फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ।



बुलंदी का नशा सिमतों का जादू तोड़ देती है,हवा उड़ते हुए पंछी के बाज़ू तोड़ देती है,

सियासी भेड़ियों थोड़ी बहुत गैरत ज़रूरी है,तवायफ तक किसी मौके पे घुंघरू तोड़ देती है।

लड़ें, झगड़ें, भिड़ें, काटें, कटें, शमशीर हो जाएँ,बटें, बाँटें, चुभे इक दुसरे को, तीर हो जाएँ,

मुसलसल कत्ल-ओ-गारत की नई तस्वीर हो जाएँ,सियासत चाहती है हम और तुम कश्मीर हो जाएँ।


बात उलझी सी लगती है मगर तुम यूँ कहना,लोग कुछ भी कहें तुम आग को पानी कहना,

जख्म खाए जो दिल ने प्यार की निशानी कहना,दर्द मिले काँटों से फूलों की जुवानी कहना,
बुझाये आग आग से जो उस आग को जवानी कहना,मिटाकर प्यास जो रहे प्यासी उसे दीवानी कहना,
जिसे पीकर होश हो बाकी उस मय को पानी कहना,बहके जो आँखों से पी के उसे हुस्न की मेहरवानी कहना।






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