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relationship between op tp wp and dpd

H2कोशिकाओं पर लगने वाले दाब H2

relationship between op tp wp and dpd

OSMOTIC PRESSURE(O.P)-
                                      अर्धपारगमय झिल्ली से प्रथक विलायक व विलयन में उत्पन्न वह दाब जो विलयन के आयतन को बढ़ने से रोकता हैं वह परासरण दाब कहलाता हैं

परासरण दाब का सम्बन्ध विलयन की सांद्रता से होता है | 

शुद्ध जल का o.p हमेशा विलयन के o.p से कम होता है अर्थात विलायक का o.p न्यूनतम माना जाता है 
o.p का मापन ओसमोमीटर से किया जाता है 
=>प्रथम ओसमोमीटर पेफर ने बताया था | 
जल की गति निम्न परासरण दाब से उच्च परासरण दाब की और होता है अर्थात हमेसा विलायक से विलयन की और होता है 
o.p का क्रम =>
                     leaf>steam>root
विधुत अपघट्यों का परासरण दाब विधुत अन अपघट्यों से ज्यादा होता है 
नॉट :-रंध्रों का खुलना व बंद होना परासरण दाब पर निर्भर करता  है 

TURGOR PRESSURE(T.P)-
                                      जब जीवित कोशिका को शुद्ध जल में रखा जाता है तो कोशिका रस व जल की  परासरण सांद्रता में अंतर होने  कारण कोशिका में अन्तः परासरण के द्वारा जल प्रवेश करता है जिससे इसके जीवद्रव्य का आयतन बढ़ जाता है 
और ये जीवद्रव्य कोशिका भित्ति पर अपकेंद्रीय दबाव डालता है  जिसे स्फीत दाब कहा जाता है 
यह स्फीत दाब अंदर से बाहर की और लगता है यह केवल जीवित कोशिका में ही कार्य करता है इसे हाइटो स्टेटिक प्रेशर कहते है 
T.Pका मान O.P के बराबर होता है 
1 . श्लथ कोशिकाओं के लिए T.P का मान शून्य होता है 
2 . स्फीत कोशिकाओं के लिए T.P का मान O.P के बराबर  होता है 
3 . जीवद्रव्य कुंचित कोशिकाओं के लिए T.P का मान -Ve होता है 

जल की गति हमेशा उच्च T.P से निम्न T.P की और होता है 


WALL PRESSURE(W.P)-
                                कोशिका में जीवद्रव्य का आयतन बढ़ने के फलस्वरूप T.P के विपरीत समान मात्रा में कोशिका भित्ति बाहर से अंदर की और दाब डालती है जिसे भित्ति दाब कहते है | 

यह दाब कोशिका भीति को फटने से रोकता है इसका मान हमेशा T.P के बराबर व विपरीत होती है 

T.P के कारण -
-मुलांकुर मृदा में वृद्धि करते है 
-कोशिका स्फीत अवस्था में बनी रहती है 
-कोशिकाएँ निश्चित आकृति की होती है 
=W.P  पादप कोशिकाओं में ही लागू होती है जंतु कोशिका में नहीं \

DIFFUSION PRESSURE DIFFICIT(DPD)-
                                                                    DPDशब्द मेयर के द्वारा दिया गया तथा चूषण दाब शब्द रेनर के द्वारा दिया गया | 
विलायक का विसरण दाब हमेशा विलयन के विसरण दाब से अधिक होता है जैसे जसे विलायक में विलय के अणु मिलाते है  तो विसरण दाब में कमी आती है यह कमी ही विसरण दाब न्यूनता कहलाती है 

या -किसी विलयन का विसरण दाब विलायक के विसरण दाब से जितना कम होता है वह उसकी विसरण दाब न्यूनता कहलाती है 
किसी भी कोशिका की DPDकोशिका के द्वारा जल की मांग को प्रदर्शित करती है 

DPD उस कोशिका की जल अवशोषण कारी शक्ति है अतः इसे चूषण दाब कहते है 

विलयन की सांद्रता बढ़ने पर DPD का मान भी बढ़ता है | अर्थात अधिक सांद्र  विलयन की DPDअधिक व कम सांद्र विलयन की DPDकम  होती है 

शुद्ध जल की DPD शून्य होती है | 
सामान्य कोशिका के लिए DPD =OP-TP होती है 





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