TYPES OF OSMOSIS
विलायक के अणुओ का अर्द्धपारगम्य झिल्ली से अपनी उच्च सान्द्रता से निम्न सान्द्रता की और जाना
परासरण कहलाता है
खोजकर्ता ----एबेनोलेट
विस्तृत विवरण --ड्युटेरोचेट
- अर्द्धपारगम झिल्ली के द्वारा प्रथक किये गए भिन्न -भिन्न सान्द्रता विलयन में से जल के अणुओं का कम सान्द्र विलयन से अधिक सान्द्र विलयन की और गमन परासरण कहलाता है
परासरण के प्रकार -
1 . अन्तः परासरण -
जब जीवित कोशिका को अल्पपरासरी विलयन में रखा जाता है तो जल के अणु अल्पपरासरी विलयन से कोशिका में प्रवेश क्र जाते है
अन्तः परासरण के कारण कोशिका फूल जाती है जैसे ----क्रिस्मिस
2 . बहि परासरण -
जब जीवित कोशिका को अतिपरासरी विलयन में रखा जाता है तो जल के अणु कोशिका रस
से अतिपरासरी विलयन में आ जाते है जिसे बहिः परासरण कहते है
बहिः परासरण के कारण कोशिका पिचक जाती है
जैसे अंगु को शक्कर के घोल में रखने पर |
परासरण के महत्व -
--कोशिका की स्फीत अवस्था परासरण पर ही निर्भर करती है
--मुलरोमों के द्वारा जल अवशोषण की क्रिया तथा पौधों में जल का एक कोशिका से दूसरी कोशिका में विसरण ,परासरण ही है
--जल का पौधों के विभिन्न अंगों में वितरण परासरण के द्वारा ही होता है
जीवद्रव्य कुंचन -----
जीवित कोशिका को अतिपरसरी घोल में रखने पर exoosmosis की क्रिया के द्वारा कोशिका रस से जल के अणु बाहर निकल जाते है
जिससे कोशिका का जीवद्रव्य सिकुड़ कर एकत्र हो जाता है जिसे जीवद्रव्य कुंचन कहते है
कोशिका की यह अवस्था जीवद्रव्य कुंचित अवस्था कहलाती है
जीवद्रव्य विकुंचन -----
जीवद्रव्य कुंचन की प्रारम्भिक अवस्था में जब इस कोशिका को पुनः अल्पपरासरी घोल
में रखा जाता है तो अन्तः परासरण के कारण कोशिका में पुनः जल प्रवेश कर जाता है जिससे जीवद्रव्य फूल जाता है जिसे जीवद्रव्य विकुंचन कहते है
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