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ascent of sap in hindi 2020

रसारोहण -
                जड़ के जायलम द्वारा अवशोषित जल को गुरुत्वाकर्षण के विपरीत पौधों के वायवीय भागों तक पहुंचाने  की क्रिया विधि  रसारोहण कहलाती है यह ऊपरी दिशिक परिवहन कहलाता है | 

1 . वलयकरण का प्रयोग -
                        स्टीफन हेल्स व मेलपीगी ने दिया | इन्होने तने के फ्लोएम भाग को काट कर अलग कर दिया तथा केवल जायलम को रखा तब भी रसारोहण की क्रिया होती है | 

2 . रंजकों का प्रयोग -
                  जब इओसिन रंजक के घोल में किसी पोधो को रखा जाता है तो रंजक इसके वायवीय भागों तक पहुँच जाता है जब इस पादप का   T.S कटा जाता है तो पता चलता है की केवल जायलम वाहिका व वाहिनिका इस घोल से रंगी हुई है 

रसारोहण की क्रिया मुख्य रूप से जायलम वाहिका व  वाहिनिका के द्वारा ही संपन्न होती है 


रसारोहण के सिद्धांत -
                 रसारोहण को समझाने के लिए निम्न सिद्धांत दोए गए है

1 . जेवबाल सिद्धांत - 
                   इस सिद्धांत के अनुसार राषरोहण की क्रिया जीवित भागों या कोशिकाओं से होती है 
=>वेस्टमाइर -इनके अनुसार जायलम पैरेनक़ाइमा व मज्जा किरणे जल का परिवहन करती है | वाहिका व  वाहिनिका केवल जलाशय का कार्य करती है 

=>रिले पम्प थ्योरी -(गोडले वास्की )
                           इस सिद्धांत के अनुसार जायलम पैरेनक़ाइमा व मज्जा किरणों की मृदुतकी कोशिकाओं में लगातार परासरण दाब में परिवर्तन होता है  जिसके फलस्वरूप रसारोहण की क्रिया संपन्न होती है 

=>स्पंदन वाद -(J.C.BOSS) 
  (प्रायोगिक पादप -डेस्मोडियम गाइरेंस) -इस सिद्धांत के अनुसार  कोर्टेक्स की आंतरिक कोशिका एवं एण्डोडर्मिस की कोशिका में लगातार स्पंदन होने के कारण रसारोहण की क्रिया  होती है निचली कोशिकाओं से जल प्रसारित कोशिकाओं में चला जाता है प्रसारित कोशिकाओं में संकुचन के से जल ऊपर चला जाता है | 
इन्होने इलेक्ट्रिक प्रोब का निर्माण किया | 

  2 . मूलदाब सिद्धांत -                                                             
      स्टीफन हेल्स -मूलदाब शब्द दिया | 
                            मूलदाब की खोज की | 

जल अवशोषण के कारण कोर्टेक्स की मृदूत्तकी कोशिकाएं जल ग्रहण करके फूल जाती है इन कोशिकाओं से जल जायलम वाहिका व  वाहिनिका में प्रवेश कर जाता है 
जायलम में उपस्थित कोशिकाओं में एक धनात्मक दाब उत्पन्न होता है जिसे मूलदाब कहते है 
प्रिस्टले के अनुसार मूलदाब के कारण जल पौधे के वायवीय भागों तक पहुँचता है मूलदाब का मापन मैनोमीटर के द्वारा किया जाता है 
परन्तु पौधों में इसका मान 20 atm  तक ही होता है और 20 atm दाब से केवल जल को 20 मीटर ऊंचाई तक ही भेजा जा सकता है अतः यह शाखिये पौधों के लिए सही हो सकता है परन्तु बड़े पौधों के लिए नहीं 
मूलदाब रात्रि के समय अधिक होता है क्योंकि रात्रि के समय वाष्पोत्सर्जन कम होता है 

3 . भौतिक बालों के सिद्धांत -
                                                    इन सिद्धांतों के अनुसार रसारोहण की क्रिया निर्जीव भागों के द्वारा संपन्न होती है 

=> अंतः चूषण वाद सिद्धांत  ( वान सेज )
इस सिद्धांत के अनुसार रसारोहण की क्रिया जायलम वाहिका व  जायलम वाहिनिका की भित्तियों की सहायता से होता है 
ये भित्तियां जल प्रिय कोलाइडी होती है जो जल का  का परिवहन करती है 

=>केशिकावाद सिद्धांत -(बोहम )
इसके अनुसार जाइलम वाहिका व वाहिनिका केशिका नली की भांति व्यवहार करती है जिससे रसारोहण की प्रिक्रिया संपन्न होती है केवल 1 मीटर तक ही जल का परिवहन करती है 

=>श्रृंखलावाद सिद्धांत - (जेमिनी )
इसके अनुसार जाइलम वाहिका व  वाहिनिका में वायु व जल के अणु एकान्तरित क्रम में पाए जाते है जब ये वायु  ऊपर की ओर उठती है तो जल की बूंदे भी इसके साथ ऊपर की ओर  उठती है और रसारोहण की क्रिया होती है 

=>वाष्पोत्सर्जन कृष्ण वाद सिद्धांत /डिक्सन जोली सिद्धांत -(डिक्सन जोली )
ये रसारोहण का सर्वमान्य सिद्धांत है इस सिद्धांत के अनुसार रसारोहण की क्रिया तीन बालों के द्वारा सम्पन होती है 
-ससंजन बल -
                     यह जल के अणुओं के मध्ये लगने वाला बल है जिसके द्वारा एक अटूट जल स्तम्भ का निर्माण होता है जो पौधों की पतियों से जड़ों तक फैला रहता है 

-आसंजन बल -
                     यह बल जल के अणुओं व जाइलम की भीति के मध्ये  लगता है यह बल जल के अटूट स्तम्भ को बनाये रखता है | या उसके रख रखाव का कार्य करता है 

-वाष्पोत्सर्जनकृष्ण तनाव /खिंचाव -
  यह ऋणात्मक खिंचाव बल है जो वाष्पोत्सर्जन की क्रिया के कारण पर्ण में जल की कमी होने से dpd  में होने वाले परिवर्तन के कारन जाइलम में उत्पन्न होता है 
इस बल के द्वारा जल स्तम्भ को ऊपर की और खिंचा जाता है 








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